Electoral bonds : इलेक्टोरल बॉन्ड स्कीम देश का सबसे बड़ा घोटाला है, जैसा कि राज्यसभा सासंद कपिल सिब्बल ने दावा किया है। उनका कहना था कि सुप्रीम कोर्ट को इसकी जांच करनी चाहिए क्योंकि सरकार नहीं करेगी। सुप्रीम कोर्ट को एसआईटी बनाने और उसके सदस्यों को चुनने का अधिकार है।
इलेक्टोरल बॉन्ड स्कीम को पूर्व केंद्रीय मंत्री और कानूनविद कपिल सिब्बल ने देश का सबसे बड़ा घोटाला बताया है। उनका कहना था कि इलेक्टोरल बॉन्ड से राजनीतिक दलों को मिले धन की जांच करने के लिए एक विशेष जांच दल (एसआईटी) बनाया जाना चाहिए। उन्होंने कहा कि इस सवाल का जवाब मिलना चाहिए कि क्या कंपनियों ने इलेक्टोरल बॉन्ड के जरिए रानजीतिक दलों को अपने हित में साधा है या नहीं। सिब्बल ने कहा कि आंकड़े बताते हैं कि घाटे वाली कंपनियों ने भी चुनावी चंदा किया है। यही कारण है कि ऐसी कंपनियों को राजनीतिक दल ने लाभ उठाया है या नहीं।
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सिब्बल ने कहा कि वे सुप्रीम कोर्ट पर दारोमदार हैं
Electoral bonds : सिब्बल ने एएनआई (न्यूज एजेंसी) को बताया कि जांच होने की संभावना कम है। उन्होंने कहा कि कोई जांच नहीं होगी। ना तो ईडी और ना ही सीबीआई जांच करेंगे। तो कोर्ट अब जिम्मेदार है। सिब्बल ने 2जी स्कैम की जांच के लिए गठित एसआईटी का हवाला देते हुए कहा कि इलेक्टोरल सहयोग से किस पार्टी को कितना धन दिया गया है और उसे बदले में क्या लाभ मिला है, इसकी भी जांच की जानी चाहिए।
टूजी स्कैम की तरह जांच की आवश्यकता
समाजवादी पार्टी के राज्यसभा सांसद कपिल सिब्बल ने कहा कि न्यायालय को एक एसआईटी बनानी चाहिए, जैसे टूजी (स्कैम) में हुआ। कोर्ट खुद एसआईटी सदस्यों को चुनना चाहिए। क्योंकि कई कंपनियां घाटे में हैं या मुनाफा बहुत कम है, डोनेशन देने वाली प्रत्येक कंपनी की जांच होनी चाहिए। दान के बदले कंपनियों को लाभ मिला है, तो इसकी जांच होनी चाहिए। ऐसे दान से बनी इमारतें भी अवैध हैं।
“नोटबंदी एक बड़ा घोटाला है, उससे भी बड़ा है बॉन्ड स्कीम।”
सिब्बल ने कहा कि नोटबंदी देश का सबसे बड़ा घोटाला था, लेकिन अब इससे भी बड़ा घोटाला हुआ है। हिंदुस्तान में दो बड़े स्कैम हुए, उन्होंने कहा। एक या दो नोटबंदी के दौरान, लोगों के पास करोड़ों रुपये कैश में थे, और सभी ने पैसा बदल लिया। आज तक कोई जांच नहीं हुई है। यह एक बहुत बड़ा झूठ था। ये एक और बड़ा स्कैम है। इस स्कैम से उन्हें जितना चाहिए था, उतना मिला। भाजपा विश्व की सबसे बड़ी पूंजीपती पार्टी बन गई है। यह देखना है कि कानून इसे कैसे देखता है।
Electoral bonds : क्या पीएमकेयर्स फंड में भी घोटाला हुआ?
पीएमकेयर्स में दिए गए चंदे पर भी सुप्रीम कोर्ट के वरिष्ठ वकील कपिल सिब्बल ने सवाल उठाया। उनका कहना था कि पीएमकेयर्स भी जांच किए जाएंगे। सिब्बल ने कहा कि ये भी महत्वपूर्ण सवाल है कि पीएमकेयर्स में किसने धन दिया। यह भी बहुत बड़ी बात है। उद्योगपतियों ने भी इसे दिया होगा। सब कुछ एक योजना से हुआ। यह योजना पूर्व वित्त मंत्री ने यह सोचकर बनाई होगी कि कोई भी राजनीतिक दल हमसे मुकाबला नहीं कर सकेगा। उसने सही निर्णय लिया। जिनके पास धन है, उनका खेल है।
सुप्रीम कोर्ट का आदेश था
Electoral bonds : 2018 में शुरू हुई योजना के बाद से, भारतीय स्टेट बैंक ने 30 किस्तों में 16,518 करोड़ रुपये के चुनावी बॉन्ड जारी किए हैं। सुप्रीम कोर्ट ने पहले 12 अप्रैल 2019 से खरीदे गए चुनावी बॉन्ड की जानकारी एसबीआई को निर्वाचन आयोग को सौंपने का आदेश दिया था। चुनावी बॉन्ड एसबीआई द्वारा जारी किए जाते हैं।
एसबीआई ने सूचना दी
मंगलवार शाम को एसबीआई ने चुनाव आयोग को उन संस्थाओं की सूची दी, जिन्होंने चुनावी बॉन्ड खरीदकर राजनीतिक दलों को भुनाया था। शीर्ष अदालत ने निर्वाचन आयोग को 15 मार्च शाम पांच बजे तक बैंक द्वारा दी गई जानकारी को अपनी आधिकारिक वेबसाइट पर अपलोड करने का आदेश दिया था।
Electoral bonds : SBI का हलफनामा क्या कहता है?
Electoral bonds : उससे पहले, एसबीआई ने बुधवार को सुप्रीम कोर्ट में एक हलफनामा दायर किया, जिसमें कहा गया कि एक अप्रैल 2019 से 15 फरवरी 2020 के बीच दानदाताओं ने 22,217 चुनावी बॉन्ड खरीदे, जिनमें से 22,030 को राजनीतिक दलों ने भुनाया गया था. हलफनामे में कहा गया कि प्रत्येक चुनावी बॉन्ड की खरीद की तारीख, खरीददार का नाम और बॉन्ड का मूल्यवर्ग
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