Lal Krishna Advani : भारत सरकार ने भारतीय जनता पार्टी के वरिष्ठ नेता लालकृष्ण आडवाणी को भारत रत्न देने का ऐलान किया है। मैं इस सम्मान को स्वीकार करता हूं, लालकृष्ण आडवाणी ने एक बयान जारी किया।
Lal Krishna Advani : भारत रत्न पुरस्कार भाजपा के वरिष्ठ नेता और पूर्व उप प्रधानमंत्री लालकृष्ण आडवाणी को मिलेगा। केंद्रीय सरकार ने घोषणा की है कि उन्हें सर्वोच्च नागरिक सम्मान दिया जाएगा। इसके बाद से बहुत से भाजपा नेता खुश हैं। PM मोदी ने इस निर्णय की जानकारी देते हुए सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म X पर तस्वीर पोस्ट की। मुख्यमंत्री योगी, नीतीश कुमार और मनोहर लाल खट्टर सहित कई केंद्रीय मंत्रियों ने “भारत रत्न” की घोषणा को खुशी का क्षण बताया। लालकृष्ण आडवाणी ने सम्मान पर कहा कि यह मेरे लिए एक गौरवपूर्ण क्षण है।
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मैं इस सम्मान को मानता हूँ: आडवाणी || Lal Krishna Advani
भारत रत्न घोषित होने पर 96 वर्षीय लालकृष्ण आडवाणी ने कहा कि मैं विनम्रतापूर्वक और कृतज्ञतापूर्वक इस सम्मान को स्वीकार करता हूँ। उनका कहना था कि यह मेरे लिए न केवल एक व्यक्ति के रूप में सम्मान है, बल्कि उन सिद्धांतों और आदर्शों का सम्मान है जिनकी मैंने जीवन भर पूरी तरह से सेवा की है। मैं उनके आदर्श वाक्य, “यह जीवन मेरा नहीं है, यह मेरे देश के लिए है” से प्रेरित हूँ। उनका कहना था कि आज मैं अटल बिहारी वाजपेयी और पंडित दीनदयाल उपाध्याय को याद करता हूँ, जिनके साथ मैंने काम किया था। उन्होंने इस सम्मान के लिए पीएम मोदी और राष्ट्रपति द्रौपद्री मुर्मू का भी आभार व्यक्त किया है। उन्होंने अपनी दिवंगत पत्नी कमला और उसके परिवार के सभी लोगों के प्रति अपनी गहरी भावनाएं व्यक्त कीं।
“हाथ हिलाकर लोगों का अभिवादन किया” || Lal Krishna Advani
लालकृष्ण आडवाणी ने सर्वोच्च नागरिक सम्मान के लिए नामांकित होने पर घर से हाथ हिलाकर जनता और मीडियाकर्मियों का अभिवादन किया। इस दौरान उनके साथ उनकी बेटी प्रतिभा आडवाणी भी दिखाई देती है। लालकृष्ण आडवाणी की बेटी प्रतिभा ने उन्हें प्यार कर, मुंह मीठा कर, गले लगाकर बधाई दी।
आडवाणी का परिवार विभाजन के बाद पाकिस्तान से भारत आया था। || Lal Krishna Advani
Lal Krishna Advani : लालकृष्ण आडवाणी का जन्म हिंदू सिंधी परिवार में 8 नवंबर 1927 को पाकिस्तान के कराची में हुआ था। आडवाणी ने कराची के सेंट पैट्रिक हाई स्कूल से अपनी प्रारंभिक शिक्षा प्राप्त की। भारत-पाकिस्तान के विभाजन के बाद, आडवाणी का परिवार पाकिस्तान छोड़कर भारत के मुंबई में बस गया। विभाजन से पहले ही आडवाणी राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ से जुड़े हुए थे और भारत आने के बाद आरएसएस का प्रचार करने लगे। उन्होंने राजस्थान में RSS के साथ काम किया। 1957 में आडवाणी जनसंघ में काम करने के लिए दिल्ली पहुंचे। आडवाणी केवल अटल बिहारी वाजपेयी के घर में दिल्ली में रहे थे।
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